शनिवार, 22 अगस्त 2009

डॉली



एक भेड़ क्लोनिंग वाली,
आदम जात में भी किसी भेड़ की तरह ही
कोई १४-१५ साल की
किसी मेमने की तरह ही भोली, सुन्दर!

महरूम अपने अधिकारों से
सिर पर अपने पूर्वजों की तरह ही
दूसरों की विष्ठा ढोने को मजबूर
अपने ही समाज में अलग-थलग एक क्लोन की तरह.

जाति प्रथा का नायाब नमूना २१वीं सदी में
अजायबघर से परे,
राजस्थान के किसी छोटे से कसबे में
हजारों वर्षों पुराने शोषण के क्लोन की मानिंद.

डॉली,
क्लोन की इस
छवि को तोड़ने को बेताब
लड़ती है खुद से, अपने घर से,
समाज से
मुट्ठी भर लोगों के साथ के सहारे.

क्लोन तो बदल जाता है,
पर चस्पां हो जाता है उसके माथे पर
हजारों वर्षों से चली आ रही
मानव-क्लोनिंग का दाग
उसकी सीमा रेखा को बाँधने को
शायद हमेशा के लिए!

(डॉली, एक छात्रा है और अपने तबके को शिक्षित करने और उसे रोजगारपरक काम के शिक्षण का काम भी करती है. पिछले दिनों उसने अपनी आपबीती लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के समक्ष एक कार्यक्रम के दौरान रखा था)